Sunday, December 30, 2007
बेनजीर की मौत
अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन, अलकायदा ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या की जिम्मेदारी ली है। अल कायदा के एक बत्रडे नेता ने एक विदेशी टी.वी. चैनल को बताया कि संगठन के नंबर टू- जवाहरी के निर्देश पर यह हत्या की गई। अल कायदा के इस दावे पर क्या कहा जाएगा ? क्या अलकायदा ने बत्रडी बहादुरी का काम किया है ? एक निहत्थी महिला की हत्या करवा कर कायदा ने यही साबित किया है कि वह षडयंत्र-साजिश के बूते ही निहत्थों की हत्या कर सकता है। धर्म और जेहाद के नाम पर किए जा रहे उसके इस अपराध पर विश्व के सभी शांतिप्रिय, कानून पसंद और लोकतंत्र समर्थकों को मिल बैठकर इस धरती को ऐसे पापियों से मुक्त कराने के लिए अवश्य विचार करना चाहिए। बेनजीर भुट्टो की हत्या पाकिस्तान ही नहीं बल्कि समूचे विश्व के शांतिप्रिय और लोकतंत्र समर्थकों के लिए एक बत्रडा झटका है। इस हत्याकांड ने सवालों की झत्रडी लगा दी है। उनमें कुछ सवाल विश्व के सभ्य लोगों की रक्षा और कुछ पाकिस्तान के भविष्य से जुत्रडे हुए हैं। चूंकि बेनजीर भुट्टो को पाकिस्तान में अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा था, अतः उनकी मौत के बाद वहां की भावी राजनीति को लेकर कई तरह के विचार उठ रहे हैं। बेनजीर की हत्या से समूचे विश्व में यह धारणा पुष्ट हुई है कि इस धरती पर आज पाकिस्तान सबसे खतरनाक मोत्रड पर आ गया है। उसे खुद के लिए अंदर से खतरा है, वहीं वहां जमा आतंकवादी कई देशों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि उसके पत्रडोस के गंभीर और खतरनाक घटनाक्रमों का असर उसकी अंदरूनी और बाहरी सुरक्षा पर पत्रड सकता है। भारत के साथ विश्व के अन्य देशों के लिए चिन्ता की दूसरी बत्रडी बात पाकिस्तान का परमाणु हथियार सम्पन्न होना है। सामूहिक विनाश के इन पाकिस्तानी हथियारों को आतंकवादियों से बचाए रखना आज एक बत्रडी चुनौती है। हालांकि पाकिस्तान का इतिहास हिंसा, कट्टरवाद और राजनीति हत्याओं से भरा पत्रडा है। 56 साल पहले तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और मुस्लिम लीग के नेता लियाकत अली खान की हत्या के बाद ही पाकिस्तानियों ने देश की दशा और दिशा पर विचार कर लिया होता तब आज हालात कुछ और होते। 1979 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो को जनरल जिया उल हक की फौजी सरकार ने फांसी पर लटकवा दिया था। उसके एक दशक बाद जनरल जिया उल हक की एक रहस्यमय विमान दुर्घटना में मौत हो गई। बेनजीर, पाकिस्तान की चौथी बत्रडी नेता हैं, जिन्हें हिंसक सोच से ग्रस्त लोगों के हाथों मारा जाना पत्रडा। पिछले 60 सालों में कट्टरवाद और आतंकवाद के चलते मारे गए पाकिस्तानियों की संख्या हजारों में होगी। बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद स्वयं पाकिस्तानियों को समझना होगा कि उनका देश जा कहां रहा है ? कट्टरपंथियों और आतंकवादियों को संरक्षण और सहयोग देने के क्या परिणाम इस देश को भोगने पत्रड रहे हैं ? वे धर्म और जेहाद के नाम पर अशिक्षित, भोले भाले तथा बेरोजगार युवकों को बरगला कर एक ऐसे अंधे कुएं में धकेल रहे हैं जहां गिरने पर मौत सुनिश्चित है। बेनजीर भुट्टो की हत्या को सिर्फ पाकिस्तान का मामला नहीं कहा जा सकता। इसके दूरगामी प्रभावों की आशंका से कैसे इंकार करेंगे। एक महिला की हत्या करवा कर अल कायदा के मर्द फूले नहीं समा रहे होंगे। यह बहादुरी क्या रत्तीभर प्रशंसा की हकदार है ? वास्तव में बेनजीर का बलिदान शांति समर्थकों को यह प्रेरणा देता रहेगा कि मानवता के लिए खतरा बनते जा रहे छोटे-बत्रडे आतंकवादियों का जत्रड से सफाया किए बगैर सुख-शांति की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
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