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Saturday, August 22, 2009

देश को आडवाणी के महाझूठ का जबाब चाहिए...


गुजरात दंगो को लेकर वाजपेई बहुत ''परेशान'' थे और उन्होंने अपने संसदीय कार्यालय में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी लिख दिया था। उस समय संसद सत्र चल रहा था। वाजपेई ने एक कागज उठाया और इस्तीफा लिखने लगे। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और उन्होंने मेरी ओर सख्ती से देखा, तब मैंने कहा आप यह क्या कर रहे हैं। ऐसा मत कीजिए। उन्होंने कहा, छोड़ दो और मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया। हम उनके निवास गए। हम हालात को शांत करने में सफल हुए। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने वह वाजपेई, आडवाणी और अरूण शौरी विमान से गोवा जा रहे थे और रास्ते में गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा शुरू हो गई। गुजरात का क्या करना है ?..कुछ देर खामोशी रही। उन्होंने तब कहा, गुजरात के बारे में कुछ सोचना चाहिए। इस पर आडवाणी बाथरूम की ओर चले गए। अटलजी ने कहा पूछिए उनसे फिर क्या करना है ? उन्होंने बताया कि मैंने आडवाणी जी के पास जाकर पूछा। आडवाणी जी ने सिर्फ इतना कहा 'बवाल खड़ा हो जाएगा पार्टी में।' उस दिन प्रमोद महाजन ने सदन से उन्हें फोन करके संसद स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय मुझे तुरंत आने को कहा। महाजन ने उन्हें कहा, कि 'जल्दी आईए जसवंत जी'। मैं नहीं जानता था कि हुआ क्या..। जब मैं वहां पंहुचा, मुझसे कहा गया ' संभालिए, संभालिए। इस्तीफा दे रहे हैं।' वाजपेई ने अपने सचिव को बुलाया। '' मैंने उनके सचिव से वापस जाने और अभी नहीं आने को कहा। वाजपेई सख्ती से मुझसे बोले क्या कर रहे हो।''
आडवानी का बड़ा झूठ
जब में 1999 में अपहृत विमान के यात्रियों को छुड़ाने के बदले अपने साथ तीन आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा था तो इसके पल पल की जानकारी लालकृष्ण आडवानी को थी। सच तो ये है कि मैंने उस समय पार्टी के अपने वरिष्ठ सहयोगी को ''बचाया'' था।
यह है भाजपा से निकाले गए वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह का सनसनीखेज खुलासा। तो क्या भाजपा और इसके पीएम इन वेटिंग आडवाणी इसका जबाब देंगे। देश को आडवाणी के महा झूठ का जबाब चाहिए।
साभार ---http://biharajitpandey.blogspot.com/

Saturday, August 15, 2009

क्या आप नौकरी की तालाश में है, और अपना बायोडाटा किसी रोजगार पोर्टल पर डाल रहे है, तो सावधान हो जाइये।


क्या आप नौकरी की तालाश में है, और अपना बायोडाटा किसी रोजगार पोर्टल पर डाल रहे है, तो सावधान हो जाइये। इन दिनों पहचान चुराने वाले हैकर रोजगार के खराब हालात को नौकरियों से जुड़े पोर्टलों पर हमला करने और आवेदकों के बारे में सूचना प्राप्त करने के अवसर के रूप में उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए एक सबटेरेनियन [भूमिगत] बाजार सक्रिय हो उठा है। इंटरनेट सीक्योरिटी कंपनी ट्रेंड माईक्रो ने कहा कि मौजूदा मंदी के बीच हैकर कार्पोरेट नौकरी वाली वेबसाइटों को अपना शिकार बना रहे हैं और आवेदकों की निजी जानकारी प्राप्त करने के लिए फर्जी साईट भी बना रहे हैं।ट्रेंड माईक्रो के उत्पाद विपणन प्रबंधक [एपेक] अभिनव कर्णवाल ने कहा कि बेरोजगारी की स्थिति बनी रहने के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग नौकरी के लिए आनलाईन आवेदन कर रहे हैं जिसके कारण नौकरी से जुड़े पोर्टल निजी आंकड़े जुटाने का महत्वपूर्ण जरिया बन गए हैं। कर्णवाल ने कहा कि नौकरी पाने के लालच में आवेदक कंपनी द्वारा पूछी गई सारी जानकारियां आसानी दे देते हैं चाहे सामाजिक सुरक्षा नंबर हो या फिर बैंक खाता नंबर हो। इस क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि पहचान चुराने वाले और हैकर रोज-रोज बेहतर जाल तैयार कर रहे हैं ताकि रोजगार पाने के लिए लालायित लोगों को फांसा जा सके।

Wednesday, August 5, 2009

क्या हमारी शासन व्यवस्था इतनी पंगु हो गई है की.....

भारत में आज जिस तेजी से बेतहाशा जनसंख्या बढ़ रही है, वह बेहद चिंतनीय है। सबसे चिंतनीय विषय तो यह है कि इस बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि में मुख्य योगदान पाकिस्तान और बांग्लादेश से अवैध रूप आकर रह रहे नागरिको का है। आश्चर्य तो इस बात का है कि देश के तमाम राजनीतिक दल सब कुछ देखते हुए भी आंखें बंद किये हुए है। इसका कारण उनकी तुष्टिकरण नीति है, जो भारत में अवैध रूप से रह कर अपनी जनसंख्या बढ़ाने में लगे है। वह कल को उनके वोटर बनेंगे, शायद यहीं उनकी मंशा है। मैं किंचित मात्र भी मुसलमान विरोधी नहीं हूं, परंतु आज देश में जिस तेजी से इनकी जनसंख्या बढ़ रही है, और इनके कारण जो आपराधिक कारनामे बढ़ रहे है, वह किसी भी आम नागरिक को सोचने पर मजबूर कर देंगे। क्या हमारी शासन व्यवस्था इतनी पंगु हो गई है कि अवैध रूप से भारत आने वाले और रहने वाले पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकती, या सिर्फ वोट व तुष्टिकरण के लिए हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बेरोजगारी, आतंकवाद और कई तरह के अपराधों के दलदल में झोंक देना चाहते है। हम सभी पाठकों और देशवासियों से इस महत्वपूर्ण मसले पर राय जानना चाहते है। अगर आप इस मुद्दे पर हमारे विचार से इत्तेफाक रखते है तो कृपया अपनी राय जरूर भेजे।
हमारा पता है--

अजीत पांडेयबी-9, एआरडी कांपलैक्ससेक्टर-१३

आरके पुरम नई दिल्ली-110066
ईमेल -biharajitpandey@gmail.com


एक बात और हमने सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के तहत विदेश मंत्रालय से इस संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है, अगर इस विषय पर आप भी कोई जानकारी देना चाहे तो आपका स्वागत है।
निम्न बिंदूओं पर हमने आरटीआई के तहत विस्तृत जानकारी मांगी है कि--

** विगत १५ वर्षो में पाकिस्तान से वैध वीजा पर भारत में कितने लोग आये और कितने वापस गये?

** इस दौरान संबंधित मंत्रालय ने कितने लोगों को वैध पासपोर्ट व वीजा जारी किये?

** उस पर कितने लोग वापस आये और कितने लोग भारत में ही रह गए?