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Tuesday, January 13, 2009

सुन लो नेताओं... सरकारी भोंपू नहीं बनेगा मीडिया


जिस तरह मनमोहन सिंह को देश का कठपुतली प्रधानमंत्री बनाया गया है, उसी तरह मीडिया को भी अपने हाथों की कठपुतली बनाने की सरकारी साजिश रची जा रही है। मीडिया पर सेंसरशिप लागू करने के लिए सरकार कुछ बेहूदा तर्क दे रही है, जिसका व्यापक पैमाने पर विरोध करने की जरूरत है। नेशनल इंट्रेस्ट के नाम पर मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी इस सरकार की गंदी मानसिकता को उजागर करती है।

आखिर सरकार मीडिया की स्वतंत्रता से इतनी डरी क्यों है।

जहां तक मुझे लगता है, पिछले दिनों मुंबई हमले के बाद सरकार और नेताओं के खिलाफ आम लोगों में जो गुस्सा और जनाक्रोश देखा गया, उससे नेताओं समेत सरकार की भी फट गई है। यह मीडिया की ही देन थी कि आम लोग एकजुट हुए। आज सरकार मीडिया पर नियंत्रण करने की कोशिश में जुटी है, जिसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मीडियाकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा।

Saturday, January 3, 2009

...आखिर कब खत्म होगी मायावती की हवस


यूपी की सीएम मायावती का जन्मदिन और पैसों की हवस न जाने अभी कितनों की जान लेगा। इस बे-शर्म मुख्यमंत्री पर किसी तरह दौलत बनाने की हवस सवार है, अभी इस के एक गुण्डा विधायक शेखर तिवारी ने औरैया के इंजीनियर मनोज कुमार गुप्ता से जन्मदिन की रंगदारी मांगी और नहींमिलने पर पीट-पीट कर मार डाला। यह मामला अभी ठंढा भी नहीं पड़ा था कि माया की हवस ने एक और जान ने ली। इस बार शिकार हुई खैरगढ़ में तैनात सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी उदयमणि पटेल की पत्नी तूलिका पटेल। बकौल पटेल-मेरी पत्नी को तो बीएसए ने मार डाला। बीएसए अल्ताफ अहमद रात्रि दस बजे तक अपने आवास पर सभी एबीएसए की बैठक लेते हैं। जब मैने उनसे अपनी पत्नी की बीमारी का हवाला देते हुये छुट्टी मांगी तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि बहन जी (मायावती) के जन्मदिन पर उनको पांच लाख रुपये देने का टारगेट मिला है, तुम एक लाख रुपये दे दो और छुट्टी पर चले जाओ। अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं तो भवन निर्माण प्रभारी व विद्युत ठेकेदार से लाकर दो। पत्नी ने उन्हें फोन पर सूचना दी कि तबियत ज्यादा खराब हो गई है लेकिन फिर भी बीएसए ने उनको घर नहीं जाने दिया। बैठक समाप्त होने के बाद रात्रि करीब क्0 बजे जब वह घर पहुंचा तो पत्नी दर्द से बिलख रही थी। किसी तरह डाक्टरों के पास ले गया, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।