जिस तरह मनमोहन सिंह को देश का कठपुतली प्रधानमंत्री बनाया गया है, उसी तरह मीडिया को भी अपने हाथों की कठपुतली बनाने की सरकारी साजिश रची जा रही है। मीडिया पर सेंसरशिप लागू करने के लिए सरकार कुछ बेहूदा तर्क दे रही है, जिसका व्यापक पैमाने पर विरोध करने की जरूरत है। नेशनल इंट्रेस्ट के नाम पर मीडिया पर नकेल कसने की तैयारी इस सरकार की गंदी मानसिकता को उजागर करती है।
आखिर सरकार मीडिया की स्वतंत्रता से इतनी डरी क्यों है।
जहां तक मुझे लगता है, पिछले दिनों मुंबई हमले के बाद सरकार और नेताओं के खिलाफ आम लोगों में जो गुस्सा और जनाक्रोश देखा गया, उससे नेताओं समेत सरकार की भी फट गई है। यह मीडिया की ही देन थी कि आम लोग एकजुट हुए। आज सरकार मीडिया पर नियंत्रण करने की कोशिश में जुटी है, जिसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मीडियाकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा।