नीरज कुमार पाण्डेय, जो भारत तिब्बत सीमा पुलिस में 40 बटालियन सी कंपनी में सिपाही के पद पर तैनात है। पिछले साल जून 2009 में उसकी तबियत खराब हो गई। चिकित्सीय जांच में टी.बी. प्रमाणित हुआ, जिसके उपरांत नीरज कुमार पाण्डेय आवेदन देने के बाद छुट्टी पर चला गया। उसके छुट्टी पर जाने के बाद पुर्वाग्रह से ग्रसित 40 बटालियन सी कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल उसे लगातार पत्र भेजकर मानसिक रूप से प्रताडि़त करता रहा। जबकि उसे लगातार चिकित्सा प्रमाण पत्र भेजा जाता रहा, बावजूद उसका प्रताड़ना जारी रहा। नीरज कुमार पाण्डेय ने पुन: 18 मार्च को कंपनी में ड्यूटी ज्वाइन कर लिया। साक्षात्कार के समय जब वह कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल के समक्ष प्रस्तुत हुआ तो बेअंदाज थपरियाल ने उसे अश्लील व क्षेत्रवादी गाली देते हुए काफी मारा-पीटा, जो खुलेआम मानवाधिकार का उलंघन है।
** क्या विक्रांत थपरियाल अपनी कंपनी में तानाशाही लागू करना चाहता है या भारतीय कानून की एैसी-तैसी करना चाहता है.?
** भारत तिब्बत सीमा पुलिस 40 बटालियन सी कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल के ऊपर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके है, फिर उच्च अधिकारी उसे क्यों पाल रहे है?
** भारत तिब्बत सीमा पुलिस के इस बदमिजाज कार्यवाहक सेनानी के ऊपर कार्रवाई करने के लिए कई बार महानिदेशक तक से गुहार लगाई गई है, मगर सिर्फ जांच का आश्वासन दिया जाता है। क्या यहीं इंसाफ है?
** एक बीमार सिपाही के साथ कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल द्वारा किया गया मार-पीट व गाली-गलौज न सिर्फ मानवाधिकार की धज्जिया उड़ा रहा है, वरन नैतिक व मानवीय रूप से भी निंदनीय है।
** इस पर सरकारी तंत्रो, आईटीबीपी के सर्वोच्च अधिकारियों और मंत्रालय को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए।
** क्या विक्रांत थपरियाल अपनी कंपनी में तानाशाही लागू करना चाहता है या भारतीय कानून की एैसी-तैसी करना चाहता है.?
** भारत तिब्बत सीमा पुलिस 40 बटालियन सी कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल के ऊपर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके है, फिर उच्च अधिकारी उसे क्यों पाल रहे है?
** भारत तिब्बत सीमा पुलिस के इस बदमिजाज कार्यवाहक सेनानी के ऊपर कार्रवाई करने के लिए कई बार महानिदेशक तक से गुहार लगाई गई है, मगर सिर्फ जांच का आश्वासन दिया जाता है। क्या यहीं इंसाफ है?
** एक बीमार सिपाही के साथ कंपनी के कार्यवाहक सेनानी विक्रांत थपरियाल द्वारा किया गया मार-पीट व गाली-गलौज न सिर्फ मानवाधिकार की धज्जिया उड़ा रहा है, वरन नैतिक व मानवीय रूप से भी निंदनीय है।
** इस पर सरकारी तंत्रो, आईटीबीपी के सर्वोच्च अधिकारियों और मंत्रालय को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए।