क्या किसी को बिहारी होने की इतनी बड़ी सजा दी जा सकती है..की उसके दोनों हाथ कट डाले जाय..आखिर राज ठाकरे के गुंडों को किसने ये हक़ दे दिया की वो किसी गरीब, बेबस और मजबूर को सिर्फ़ इस लिया सजा दे की वो बिहारी या भइया है..कहा है इस देश का कानून, बड़ी-बड़ी बात करने वाले ब्रस्त नेता...शायद सबकी आत्मा मर चुकी है...आइए जानते है उस बेबस, लाचार की दास्ताँ....
मैं रोज की तरह भुजा बेच कर रात को करीब 10 बजे फुटपाथ पर ही सोने चला गया। अभी मेरी आंख लगी ही थी कि मनसे के सैकड़ों कार्यकर्ता मुझे घेर कर पिटने लगे, मैं उनके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाने लगा, बावजूद मेरी लात-घूसों से पिटाई होती रही और मैं बेहोश हो गया। दूसरे दिन जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को अस्पताल में पाया। मेरे दोनों हाथ मनसे कार्यकर्ताओं ने काट लिए थे और मेरे हाथों पर पट्टियां बंधी थीं। यह दर्दनाक दास्तां उस गरीब किशुन का है, जिसे बिहारी होने की इतनी बड़ी सजा दी गई है। पिछले दिनों राज ठाकरे व उसके समर्थकों द्वारा उत्तर भारतीयों पर बरपाए गए कहर का शिकार हुआ किशुन। मनसे कार्यकर्ताओं ने निर्ममतापूर्वक उसके दोनों हाथ काट कर दरिंदगी का परिचय दिया है। बिहार के सिवान जिले के रघुनाथपुर थाना क्षेत्र के दुदही गांव निवासी किशुन सिंह की गलती सिर्फ इतनी है कि वह पिछले 10 वर्र्षो से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए महाराष्ट्र के पुणे में भुजा बेचता था। दिनभर भुजा बेच कर रात में फुटपाथ पर ही सो कर जिंदगी गुजारने वाले किशुन को क्या पता था कि उसे इसकी कीमत अपने दोनों हाथ गवां कर चुकानी पड़ेगी। घर लौटे किशुन के चेहरे पर मनसे कार्यकर्ताओं का खौफ इस कदर गहरा गया है कि आज भी वह किसी अंजान व्यक्ति को देख कर कांप जाता है।
सिवान के सदर अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा किशुन को इस बात की चिंता सता रही है कि वह अपनी 12 वर्षीय बिटिया रंजीता का हाथ कैसे पीला करेगा। साथ ही उस आठ वर्षीय पुत्र और उसकी पत्नी का क्या होगा। इस परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा।
2 comments:
es desh ka durbhagya kai ki yaha raj and bal jaise neta paida hote hai.......
आज हर बिहारी यही कह रहा है कि जितना सताओगे हम उतना मजबूत बनेंगे.
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