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Sunday, August 17, 2008

शिखंडी सरकार के मुंह पर तमाचा?


शुक्रवार को जहां सारा देश स्वतंत्रता दिवस की 62वीं सालगिरह मना रहा था, वहीं कश्मीर घाटी में केंद्र सरकार के मुंह पर कालिख पोतते हुए अलगाववादियों ने पाकिस्तानी झंडे फहराए। केंद्र की मनमोहन सरकार ने इस मामले पर जिस तरह से शिखंडी रवैये का परिचय दिया है, इससे करोड़ों हिंदुस्तानियों का सिर शर्म से झुक गया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जिस ऐतिहासिक लाल चौक पर 60 साल पहले बड़ी शान से तिरंगा फहराया था, शुक्रवार को वहीं पर अलगाववादियों ने भारत सरकार को तमाचा मारते हुए पाक ध्वज फहराए। यह सब कुछ उस समय हुआ जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की खुशियां मना रहा था।घाटी के हर मस्जिद से शुक्रवार को भारत विरोधी नारे लगाए जाते रहे और दिल्ली के लाल किला से हमारे पीएम मिमियाते रहे। शुक्रवार को घाटी में जो कुछ भी हुआ इसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि कश्मीर भारत का हिस्सा है। पुलिस और अ‌र्द्धसैनिक बल शांत होकर राष्ट्रविरोधी तत्वों का तमाशा देख रहे थे।जुमे की नमाज के बाद तो अलगाववादियों ने जुलूस निकाल कर जम कर हिंदुस्तान को कोसा। इन नमकहरामों ने 'हम क्या चाहते-आजादी, यहां क्या चलेगा-निजाम-ए-मुस्तफा, भारत के आईवानो को-आग लगा दो, पाकिस्तान से नाता क्या-लाइल्लाह लिलल्लाह, जीवे-जीवे पाकिस्तान' के नारे भी लगाए गए। लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। विडंबना यह है कि देश के अन्य राज्यों में अगर ऐसी कोई घटना सामने आती है तो उसे गिरफ्तार कर उसके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर हो जाता है। सवाल यह उठता है कि यहां सरकार की यह दोगली नीति कब तक चलेगी। कश्मीर घाटी में हाल ही में अलगाववादी नेताओं ने नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश की लेकिन उनके खिलाफ कोई मामला क्यों नहीं दर्ज हुआ। आखिर यह देश कब तक राजनेताओं के दोगलेपन का खामियाजा भुगतता रहेगा? आखिर कब तक?

2 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

यह क्या किया आपने चंदन जी..राष्ट्रद्रोहियों का यह सच लिख कर तो आप धर्मनिर्पेक्षता विरोधी कहायेंगे।...। राष्ट्र के प्रकांड बुद्धिजीवियों को खट्कने वाला सच...लेकिन खामोश!!

दुर्भाग्य इस देश का।


***राजीव रंजन प्रसाद

www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com

संजय बेंगाणी said...

यह अन्दर तक पैठा कौमवाद है, वरना क्या वजह है शबाना को पक्षपात नजर आए.