click for a free hit counter

Sunday, December 7, 2008

जरा याद उन्हें भी कर लो जिनकी लाश भी घर न आयी


२६ नवंबर को मुंबई छत्रपति शिवाजी विखरोली टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर आतंकियों की गोली का शिकार असम के उत्तर दिनाजपुर निवासी हसिबुर्रहमान भी हुआ। आर्थिक तंगी की वजह से उसके परिजन उनकी लाश भी मुंबई से नहीं ला सके। उन्हें मृतकों के परिजनों के लिए घोषित सरकारी मदद की जगह अबतक सिर्फ हसीबुर्रहमान की मृत्यु के प्रमाण पत्र का फैक्स मिला है। यहां तक कि सरकार ने उसकी लाश तक घर भिजवाने की व्यवस्था नहीं की। उसके परिजनों को हसीबुर्रर के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने का मलाल है। सर्वाधिक दुखद स्थिति यह कि अबतक उनके परिजनों की सुध लेने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठायी। यहां तक कि शासन-प्रशासन के लोग उन्हें संवेदना के दो शब्द कहने भी नहीं आये। हसिबुर्रहमान मुंबई में राजमिस्त्री का काम करता था। मुंबई प्रशासन ने हसिबुर्रहमान को मुंबई के कब्रिस्तान में दफनाकर इसकी जानकारी मृत्यु प्रमाण पत्र फैक्स कर उनके घर वालों को दी। हसिबुर्रहमान के पिता फैजुद्दीन और माता जुलेखा खातून को बेटे की अकाल मौत पर दुख तो है ही, उन्हें अपने पुत्र के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने का मलाल भी है। वह परिवार में इकलौता कमाऊ सदस्य था। उसकी मौत से परिवार पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है।

2 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप इस की सूचना मुंबई राज्य विधिक प्राधिकरण के अध्यक्ष को दीजिए। कल ही उन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिए हैं।

Anonymous said...

It seems different countries, different cultures, we really can decide things in the same understanding of the difference!
Personalized Signature:我喜欢淮安掼蛋,靖江青儿,南通长牌,姜堰23张,常州麻将这些地方言游戏