click for a free hit counter

Wednesday, December 31, 2008

नव वर्ष २००९ मंगलमय हो


नूतन वर्ष आप सभी के जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आए।


नव वर्ष २००९ मंगलमय हो


शुभ २००९

Tuesday, December 16, 2008

मुसलमान बनों वरना इज्जत तार-तार कर देंगे.. देश भी छोड़ो


पहले उन दरिंदों ने हमें धर्म बदलने की धमकी दी, फिर जब हमने उनकी धमकियों का विरोध किया तो मेरे पिता और भाई के सामने ही मुझे अपनी हवस का शिकार बनाया। उन मुसलिम दरिंदों ने मेरी मां को भी नहीं बख्शा..क्या हमारा हिंदू होना गुनाह है?
इन दिनों यह कहर बरप रहा है पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवारों पर, जो मुंबई आतंकी हमले के बाद और तेज हो गया है। पिछले १० दिनों में हिंदू परिवारों की दर्जनों महिलाओं से दुष्कर्म कर उनके घरों को लूटा गया। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि या तो वह मजहब बदल लें या फिर देश। हिंदू परिवार वहां से पलायन करके भारत आ रहे हैं। समझौता एक्सप्रेस से आए दो हिंदू परिवारों ने जब अपनी दुखभरी कहानी मीडिया को बताई तो मन गुस्से से भर उठा। सिंध प्रांत से भारत पहुंचे हिंदू परिवारों ने कहा कि पाक में आज वहीं दोहराया जा रहा है जो बंटवारे के दौरान हुआ था। वहां के जमींदार व पुलिस खुद यह घिनौना खेल खेलने में लगी है। अब हिंदू परिवारों का वहां रहना मुश्किल हो गया है। बहू-बेटियों से दुष्कर्म किया जा रहा है। बच्चों को अगवा करके फिरौती मांगी जा रही है। क्या भारत सरकार इस मामले की जांच करवाएंगी?

Wednesday, December 10, 2008

ये कैसा प्यार है चांद मुहम्मद


मुझे अपनी पत्‍‌नी और बच्चों में कोई दिलचस्पी नहीं है। अगर वे मुझसे मिलना भी चाहेंगे तो मैं उन्हें भगा दूंगा। अनुराधा बाली यानी फिजा ही अब मेरी जिंदगी है। पहले मेरा प्यार है फिर राजनीति या कुछ और ... भाइयों, यह महान विचार है चंद्रमोहन से चांद मुहम्मद बने हरियाणा के (बर्खास्त) डिप्टी सीएम के। सच में ये प्यार में इतने अंधे हो चुके है कि अपने बच्चों से भी मिलने से इन्होंने इंकार कर दिया है। आखिर ये कौन सा प्यार है नेता जी?जिस औरत के साथ भगवान को साक्षी मानकर आपने सात फेरे लिए और जिंदगी के क्8 साल बिताए, बच्चों को जन्म दिया उससे यू ही नाता तोड़ लोगे। वाह रे प्यार।।। मात्र भ् सालों से आपकी जिंदगी में आई हरियाणा की सहायक महाधिवक्ता रही अनुराधा बाली उर्फ फिजा की नजर कहीं आपके विशाल संपत्ति पर तो नहीं है? हालांकि बकौल फिजा-चांद से उनका विवाह किसी रुतबे या जमीन जायदाद के लालच में नहीं है। हम एक दूसरे से सच्चा प्यार करते है।

Sunday, December 7, 2008

जरा याद उन्हें भी कर लो जिनकी लाश भी घर न आयी


२६ नवंबर को मुंबई छत्रपति शिवाजी विखरोली टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर आतंकियों की गोली का शिकार असम के उत्तर दिनाजपुर निवासी हसिबुर्रहमान भी हुआ। आर्थिक तंगी की वजह से उसके परिजन उनकी लाश भी मुंबई से नहीं ला सके। उन्हें मृतकों के परिजनों के लिए घोषित सरकारी मदद की जगह अबतक सिर्फ हसीबुर्रहमान की मृत्यु के प्रमाण पत्र का फैक्स मिला है। यहां तक कि सरकार ने उसकी लाश तक घर भिजवाने की व्यवस्था नहीं की। उसके परिजनों को हसीबुर्रर के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने का मलाल है। सर्वाधिक दुखद स्थिति यह कि अबतक उनके परिजनों की सुध लेने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठायी। यहां तक कि शासन-प्रशासन के लोग उन्हें संवेदना के दो शब्द कहने भी नहीं आये। हसिबुर्रहमान मुंबई में राजमिस्त्री का काम करता था। मुंबई प्रशासन ने हसिबुर्रहमान को मुंबई के कब्रिस्तान में दफनाकर इसकी जानकारी मृत्यु प्रमाण पत्र फैक्स कर उनके घर वालों को दी। हसिबुर्रहमान के पिता फैजुद्दीन और माता जुलेखा खातून को बेटे की अकाल मौत पर दुख तो है ही, उन्हें अपने पुत्र के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने का मलाल भी है। वह परिवार में इकलौता कमाऊ सदस्य था। उसकी मौत से परिवार पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है।