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Monday, December 7, 2009

अगर एक महीने के अंदर आरोप लगाने वालों व मीडिया को नहीं निपटाया तो मैं ढाढी मुंछ मुड़वा लूंगा। आशाराम बापू ने दी खुलेआम धमकी...


अपने ऊपर लगे आरोपों से बौखलाये तथाकथित संत आशाराम बापू ने अब सरकार, पुलिस और मीडिया को ही ललकारते हुए परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। सत्संग के दौरान घड़ी-घड़ी ड्रामा करने वाले इस तथाकथित संत ने सोमवार को अपने सैकड़ों अनुवायियों को भड़काते हुए धमकी भरे अंदाज में कहा कि अगर एक महीने के अंदर आरोप लगाने वालों व मीडिया को नहीं निपटाया तो मैं ढाढी मुंछ मुड़वा लूंगा। इस संत ने खुलेआम अपने अनुवायियों को भड़काते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार, पुलिस और मीडिया को धमकी दी है। आखिर एक महीने में यह तथाकथित संत क्या कर लेगा? आखिर यह संत अपने भक्तों की भावनाओं को भड़का कर क्या साबित करना चाहता है?जब आशाराम बापू पर कानूनी शिकंजा कस रहा है तो इनका मानसिक संतुलन खराब होता जा रहा है। उधर, आशाराम बापू के नालायक बेटे नारायण स्वामी के पूर्व सचिव ने भी आज अपनी जानमाल की रक्षा की गुहार सरकार से लगाई है। बकौल महेंद्र चावला नारायण स्वामी ने उसे जान से मारने की धमकी दी है। महेंद्र चावला का कहना है कि मुझे आशाराम और उसका नालायक बेटा मरवा देगा। इस मामले में महेंद्र चावला ने आज नारायण स्वामी पर मामला दर्ज कराया।

7 comments:

अवधिया चाचा said...

भाई अगर तु पत्रकारिता में कामयाब होना चाहते है तो इसकी हर दिन की पोस्‍ट बनाओ, यह मामला इस चैलेंज से बहुत दिलचस्‍प होगया है, इस लिए अब हम भी अपना अवध जाना कैंसल करके इस मामले पर नजर रखेंगे

अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया

Anonymous said...

पत्रकार सबसे ज्‍यादा चोदू इंसान है, पता नही किन-किन से चुदे है और कितनो का शोषण कर मौन बतालकार कर रहे है, पत्रकारो का एक बार स्टिंग अपरेशन करवा कर देखो, साले सब गांड मारते और मरवाते नजर आयेगे।

अवधिया चाचा said...

ऐ महान चिटठा-चर्चा करने वाले ब्लागरों आओ देखो ब्लागवाणी पर रजिस्‍टर होने के परिणाम, पत्रकार भाइयों को किस प्रकार का इन्‍सान बताया गया है और किस शान से ब्‍्लागवाणी कमेंटस ऐरिया में दिखाया जा रहा है, नोट करो, किसी को ब्‍्लागवाणी बोर्ड पर गाली सहित पब्लिश कमेंटस का चित्र चाहिए तो हमको अर्थात अवधिया चाचा को मेल करे, अच्‍छा हुआ कि हम कभी अवध न जासके वरना यह नवाबी शौक हमें भी देखने को मिलता, प्रभु ने बचा लिया हमें भी और अवध को भी,

यहाँ हम अवधिया, भी चैलंज करते हैं कि अगर ब्लागवाणी हमें एक महीने में अपना मेम्‍बर बना ले तो हम दाढ़ी रख लेंगें,

अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया

Saleem Khan said...

आशा राम बापू और इस जैसे जितने भी कथित तौर के साधू या भगवान् टाइप के लोग अपनी दूकान भारत में जमा के बैठ जाते हैं और हिन्दू लोग अंधे हो कर उन्हें पूजने लगते है क्यूंकि हिन्दू की कोई गाईड लाइन तो है ही नहीं और जो है उससे वे कोसो दूर हैं... अब वक़्त आ गया है कि हिन्दू भाई ये समझ जाएँ कि ईश्वर एक ही है और वह निराकार है...

ये आसाराम हुए या वो हेयर ड्राई करवा के बैठा साईं बाबा या रजनीश सब के सब ऐसे ही थे और हैं मैंने तो बहुत पहले साईं बाबा के बरे में सुना था कि वो किसी आदमी के साथ.... छिः कहते हुए शर्म आ रही है...

खैर, अब वक़्त आ गया है कि हिन्दू भाई ये समझ जाएँ कि ईश्वर एक ही है और वह निराकार है..

योगेन्द्र मौदगिल said...

Jai Ho........

EP Admin said...

@ स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़

भाई साहब
आपसे सहमत होने की कोई वजह नहीं मेरे पास........आप जिस समलैंगिक रिश्ते की बात कर नाक मुह सिकोड़ कहे हैं.......बड़ी अजीब बात है की मुस्लिम इतिहास में वो बड़ा पेवस्त है.....आपने जिन लोगों का नाम लिया वो भक्ति या सूफी परम्परा से हैं और हमारे देश के दोनों बड़े धरम समलैंगिकता से नाक नहीं सिकोड़ सकते.......
खुसरो का एक शेर सुनिए " अपनी छब बने के मै जो पिहू के पास गई ........जो देखि छब पिहू की अपनी भूल गयी.......ये किसी लड़की की ओर से नहीं लिखा गया है ........उनको पड़ना होगा.........हिंदुस्तान के सूफी आन्दोलन को भक्ति आन्दोलन को पढिये........
सब को मुसलमान बनाने के बजाये कुछ बेहतर कीजिये........समाज में काफी समस्यां हैं...........मुसलामानों की बहुत सारी समस्याएं है.......हाँ मानता हूँ आज भक्ति आन्दोलन किसी भी स्तर से भक्ति आन्दोलन नहीं रह गया........बुलेट प्रूफ स्टेज से मोह माया त्यागने की बात की जाती है.............सब सही है.......मगर किसी भी विचार को ख़ारिज नहीं कर सकते.......मजमा-उल-बहरैन पढिये हिन्दू फिलोसफी के लिए.........वेदों को पढिये.......जानिये ना हिन्दू फिलोसफी क्या है आखिर बुरा क्या है......वैसे एकेश्वरवाद ही हिन्दू फिलोसफी है.........हाँ आम आदमी को बहुत सारी समझ नहीं आती..............आप जिसे मिक्स कर के देख रहे हैं वो वैष्णव और शैव विचारों के मिल जाने का परिणाम है........

गुरप्रीत सिंह said...

धर्म कोई भी बुरा नहीँ, बुरे कुछ प्रचारक होते है।
सच।

मैँ आपको आमंत्रित करता हूँ......http://yuvaam.blogspot.com/p/katha.html?m=0