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Thursday, November 27, 2008

सलाम सतेंद्र दूबे...सलाम सतेंद्र दूबे


वह बहुत ही होशियार, ईमानदार और हमेशा दूसरों की फिक्र करने वाला इंसान था। एक बहुत बड़े प्रोजेक्ट का प्रबंधक इंजीनियर होते हुए भी सामान्य जीवन के साथ 18-18 घंटे काम करना और धूल-धक्कड़ की परवाह किए बिना सुदूर इलाकों में पैदल ही चले जाना उसकी दिनचर्या थी। मगर उसे क्या पता था कि उसकी ईमानदारी ही उसके लिए एक दिन मौत का कारण बन जाएगी। जी, हां हम बात कर रहे है एनएचएआई के शहीद इंजीनियर सतेंद्र दूबे की, जिन्हें २७ नवंबर २००३ में मौत के घाट उतार दिया गया। उन्हें सजा मिली भ्रष्टाचार को उजागर करने की, उसे रोकने की और सिस्टम से लड़ने की। दुर्भाग्य तो इस बात का है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के ड्रीम प्रोजेक्ट और उनके कार्यालय से जुड़े इस मामले की जांच कर रही सीबीआई भी कठघरे में है। सतेंद्र दूबे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की गया यूनिट के प्रमुख थे और हत्या से लगभग म् माह पूर्व उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। हत्या के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, मगर आज हत्या के 5 साल बाद भी नतीजा सिफर रहा। इस मामले में अब तक आधा दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए, जिसमें प्रमुख आरोपी मुकद्दर पासवान और शिवनाथ साव ने विगत 1 फरवरी २००४ को संदिग्ध रूप से आत्महत्या कर ली, हालांकि उसके घर वालों ने सीबीआई पर उन्हें जहर देकर मारने का आरोप लगाया। वहीं २३ जून २००८ को एक और मुख्य आरोपी उदय चौधरी पुलिस हिरासत से फरार हो गया। बताया गया कि पटना सिविल कोर्ट में पेशी के दौरान वह अचानक गंगा नदी पुल से छलांग लगा कर नदी में कूद गया। बाकी आरोपी भी सबूत के अभाव में छोड़ दिए गए। इस मामले का एक और प्रमुख गवाह एक रिक्शाचालक भी पिछले 5 सालों से गायब है, जिसके बारे में सीबीआई आज तक कोई सुराग नहीं लगा पाई। यानी कुल मिला कर विगत पांच वर्षों में देश की एक महत्वपूर्ण जांच एजेंसी एक ईमानदार इंजीनियर के हत्यारों को सजा भी नहीं दिला सकी।

4 comments:

सतीश पंचम said...

अदालती पचडों में फंसे ऐसे कई सत्येंद्र दुबे हैं जो न्याय की बाट जोह रहे हैं। दुखद प्रकरण।

संदीप said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

मुझे याद आता है कि सत्येंद्र की ह्त्या की पूरी खबर पढ़कर शायद पहली बार व्यवस्था के प्रति एंग्री यंग मैन जैसा अनुभव किया था मैने।

क्योंकि मालूम था कि आगे क्या होने वाला है

रंजीत/ Ranjit said...

imaandaree aur kartavyanishtha jaise shabdon ko jinda rakhne ke liye dhartee par aate hain aise shakhs. dua karo ki yah prampara banee rahe.mera bhee salaam.
ranjit