भविष्य हमेशा उम्मीदों
Thursday, December 31, 2009
जाने वाले साल को प्यारी सी विदाई, आने वाले साल को सलाम
भविष्य हमेशा उम्मीदों
Tuesday, December 22, 2009
आठवीं अनुसूची से क्यों दूर है भोजपुरी
Monday, December 7, 2009
अगर एक महीने के अंदर आरोप लगाने वालों व मीडिया को नहीं निपटाया तो मैं ढाढी मुंछ मुड़वा लूंगा। आशाराम बापू ने दी खुलेआम धमकी...
Sunday, December 6, 2009
आशाराम बापू का कई महिलाओं के साथ अवैध रिश्ता है। यह संत के भेष में हवस का पुजारी है। आशाराम बापू का सच..यह संत है या शैतान
Wednesday, December 2, 2009
आजादी की लड़ाई लड़ने वाले प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का गांव बदहाली व उपेक्षा का शिकार
उनके पैतृक निवास को भले ही भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया है, परंतु विकास का तो यहां से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। सिवान जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर जीरादेई गांव में डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म तीन दिसंबर 1884 को मुंशी महादेव सहाय के परिवार में हुआ था। लगभग 5 बीघा जमीन में फैले उनके इस निवास में महात्मा गांधी के ठहरने के कमरे सहित कई कमरों में खिड़की-किवाड़ तक नहीं है, जो है वो भी सड़ चुका है।
गांव के अंदर राजेंद्र बाबू का कोठी के मुख्य द्वार से बाएं तरफ एक पुराना कुंआ है। लोग बताते है कि इसी कुंए से राजेंद्र बाबू समेत उनका परिवार पानी पीता था। कुएं से आगे बाएं तरफ एक कैटल हाउस है, जो अब वीरान हो चुका है। मुख्य द्वार से दाहिनी तरफ तीन जर्जर कमरे है, जहां कभी औषधालय हुआ करता था। बिहार में नई सरकार बनने के बाद जीरादेई को प्रखंड का दर्जा दिया जा चुका है, परंतु यहां की बदहाली में कोई बदलाव नहीं आया। तमाम आश्वासनों के बावजूद गांव के एक मात्र राजेंद्र स्मारक महाविद्यालय को मान्यता नहीं मिल सकी है। इसी तरह शिक्षकों और कमरों के अभाव में राजेंद्र बाबू के बड़े भाई के नाम पर चल रहे विद्यालय की स्थिति दयनीय है। मध्य विद्यालय और कन्या विद्यालय की स्थिति भी कोई बेहतर नहीं है।
गांव में चिकित्सा व्यवस्था की हालत तो और भी दयनीय है। जीरादेई के मवेशी अस्पताल में थाना चल रहा है, जबकि छह शैय्या वाले अस्पताल के अधिकांश हिस्से पर पुलिस का कब्जा है। गांव में एक आयुर्वेदिक अस्पताल है, जिसका उद्घाटन खुद तत्कालिन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने ही किया था, परंतु वह भी अपने हालात पर आंसू बहा रहा है। भवन इतना जर्जर हो चुका है कि यह कभी भी ढह सकता है। गांव में न को कोई पुस्तकालय है, न शुद्ध पानी की कोई व्यवस्था। सड़क और बिजली की स्थिति तो बेहद दयनीय है।
यहां अशिक्षा और बेरोजगारी का आलम यह है कि युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है। शराब बिक्री के सख्त विरोधी रहे राजेंद्र बाबू के गांव में शराब की अवैध बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। अवैध शराब के कारोबार ने यहां की युवा पीढ़ी को बर्बादी के कगार पर ला कर खड़ा कर दिया है। देशरत्न के गांव की बदहाली पर सिवान से नवनिर्वाचित निर्दलिय सांसद ओमप्रकाश यादव भी मानते है कि राजेंद्र बाबू की जन्मस्थली सरकार की नजरों से उपेक्षित है। पहली बार सांसद बने ओमप्रकाश यादव का कहना है कि जीरादेई को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतु मैं प्रयासरत हूं। इसके लिए मुझे सरकार की तरफ से विश्वास दिलाया गया है कि केंद्र सरकार जल्द ठोस कदम उठाएगी। उनका कहना था कि पुलिस थाना के लिए जमीन अधिगृहीत हो चुका है, लेकिन फंड के अभाव में मवेशी अस्पताल में थाना चल रहा है। इस समस्या का भी समाधान शीघ्र हो जाएगा।
बहरहाल, देशरत्न के गांव का हाल देख कर मवेशियों का चारागाह बने राजेंद्र शिशु उद्यान में उनकी प्रतिमा के नीचे अंकित ये पक्तियां-
हारिए ना हिम्मत बिसारिए ना हरिनाम
।जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए। ॥उनके चाहने वालों को जरूर थोड़ी सांत्वना देती रहती है।
Monday, November 9, 2009
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपराधियों पर मेहरबान
Saturday, August 22, 2009
देश को आडवाणी के महाझूठ का जबाब चाहिए...
जब में 1999 में अपहृत विमान के यात्रियों को छुड़ाने के बदले अपने साथ तीन आतंकवादियों को लेकर कंधार जा रहा था तो इसके पल पल की जानकारी लालकृष्ण आडवानी को थी। सच तो ये है कि मैंने उस समय पार्टी के अपने वरिष्ठ सहयोगी को ''बचाया'' था।
यह है भाजपा से निकाले गए वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह का सनसनीखेज खुलासा। तो क्या भाजपा और इसके पीएम इन वेटिंग आडवाणी इसका जबाब देंगे। देश को आडवाणी के महा झूठ का जबाब चाहिए।
Saturday, August 15, 2009
क्या आप नौकरी की तालाश में है, और अपना बायोडाटा किसी रोजगार पोर्टल पर डाल रहे है, तो सावधान हो जाइये।
Wednesday, August 5, 2009
क्या हमारी शासन व्यवस्था इतनी पंगु हो गई है की.....
ईमेल -biharajitpandey@gmail.com
एक बात और हमने सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के तहत विदेश मंत्रालय से इस संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है, अगर इस विषय पर आप भी कोई जानकारी देना चाहे तो आपका स्वागत है।
निम्न बिंदूओं पर हमने आरटीआई के तहत विस्तृत जानकारी मांगी है कि--
Wednesday, July 22, 2009
शीला जी किसकी बपौती है दिल्ली?
मांगते थे, आज चुनाव जीत जाने के बाद वे ही बाहरी लोग दिल्ली पर बोझ बन गए है। वाह रे शीला जी, सत्ता में दुबारा आने के बाद तो आप गिरगिट की तरह रंग बदल रहीं हैं। आज आप जिस बाहरी लोगों (पूर्वाचल वासिंयों) को दिल्ली पर बोझ कह रहीं है, सच तो यह है कि आप इन्हीं बाहरी लोगों के बदौलत दुबारा सत्ता पर काबिज हुई है। हम आपके इस शर्मनाक बयान की तीब्र निंदा करते है। अगर आपके अंदर जरा भी नैतिकता बची हो तो आपको फौरन त्यागपत्र दे देना चाहिए। बरना आप जिन्हें बाहरी लोग कह कर बार-बार अपमानित कर रहीं है, वो अगर आपके खिलाफ खड़े हो जाए तो आपको दिल्ली छोड़ कर जाना पड़ेगा।
हमारी बात आपके साथ... अजीत पांडे
http://biharajitpandey.blogspot.com/
Friday, April 3, 2009
दैनिक जागरण ने जन जागरण के रूप में छेड़ा है अब तक का सबसे बड़ा अभियान।
इन्ही सवालों को लेकर देश के सबसे बड़े चुनावी उत्सव को एक उचित अवसर मानकर दुनिया के सबसे अधिक पाठक संख्या वाले अखबार दैनिक जागरण ने जन जागरण के रूप में छेड़ा है अब तक का सबसे बड़ा अभियान। इस अभियान का एकमात्र उद्देश्य है चुनाव सुधार की आवाज बुलंद करना और साथ ही सबको समझदारी से वोट का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना ताकि सचमुच बदल सके राजनीति, समाज और राष्ट्र की तस्वीर।
आपके सक्रिय-सजग सहयोग से हम सब झकझोर सकते हैं कोटि-कोटि लोगों को और उत्पन्न कर सकते हैं जन चेतना की एक ऐसी लहर जिसका आवेग ध्वस्त कर सकता है समस्त अवरोध। दैनिक जागरण के इस जन जागरण अभियान के तहत देश भर में आयोजित हो रहे हैं तमाम आयोजन, विचार गोष्ठियां, प्रभात फेरियां, जनसंपर्क आदि आदि। इस अभियान में देश के तमाम संगठनों ने, मशहूर शख्सियतों ने शिरकत करने की ठानी है।
इस आवेग को चाहिए आपका भी सहयोग। आप जहां भी हैं, जिस स्थिति में हैं, इस राष्ट्रयज्ञ रूपी महा अभियान में अपना योगदान कर सकते हैं। अपने देश के लिए, अपने समाज के लिए किसी भी जागरूक नागरिक के तत्पर होने का अवसर आ गया है और इसके लिए दैनिक जागरण आपको मुहैया करा रहा है एक सशक्त माध्यम।
log ओं- हटtp://www.janjagran.co.in
Monday, March 23, 2009
बनारस में मुख्तार अंसारी बसपा के उम्मीदवार बन रहे हैं। क्या यह बनारस की जनता का अपमान नहीं?जागे बनारस और सतर्क हो जाए सारा देश...
आपराधिक कर्म और चरित्र वाले प्रत्याशी, जिनका अच्छा-खासा इतिहास थानों में दर्ज हैं और जिनकी छवि भी दागदार है वे यदि एक बार फिर हमारे भाग्य विधाता और नीति निर्माता बन जाते हैं तो हमारे रोने-धोने और नेताओं को कोसते रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। जब यह तय है कि राजनीतिक दल दागियों को उम्मीदवार बनाने से बाज नहीं आने वाले तो फिर उन्हें सबक सिखाने में संकोच क्यों? तमाम रोष-आक्रोश और प्रतिरोध के बावजूद दागियों को चुनाव मैदान में उतारने का सिलसिला कायम होता दिख रहा है। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तो कुछ कुख्यात छवि वालों की उम्मीदवारी सबसे पहले पक्की हुई है, जैसे बनारस में मुख्तार अंसारी बसपा के उम्मीदवार बन रहे हैं। क्या यह बनारस की जनता का अपमान नहीं? जागे बनारस और सतर्क हो जाए सारा देश, क्योंकि बनारस की तरह देश के अन्य अनेक चुनाव क्षेत्रों में भी एक से एक दागी चुनाव मैदान में उतरने को आतुर हैं। इससे भी भद्दी बात यह है कि राजनीतिक दल भी उन्हें जनप्रतिनिधि का तमगा पहनाने पर आमादा हैं। इसके लिए वे तरह-तरह के बहाने गढ़ रहे हैं, जैसे यह कि वे भटके हुए लोगों को सुधरने का मौका दे रहे हैं। सच तो यह है कि वे हमारी आंखों में धूल झोंककर राजनीति को मैला कर रहे हैं।
दागियों को चुनकर हम लोकतंत्र को दागदार बनाने का काम करेंगे और ऐसा काम करने के बाद संसद के सही तरह चलने और पक्ष-विपक्ष के जवाबदेह बनने की उम्मीद नहीं की जा सकती। क्या यह किसी से छिपा है कि विधानमंडलों में दागी सिर्फ इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि हमारे-आपके वोट उनकी झोली में गिर रहे हैं। गलती कर रहे हैं हम और इनाम पा रहे हैं वे जिन्हें हम छंटे हुए अपराधी समझते हैं।
सवालों के जवाब खोजने और उन्हें हल करने का
लोकतंत्र को सार्थक सिद्ध करने और समर्थ बनाने का
वोट की वास्तविक महत्ता स्थापित करने का
बदल दीजिए देश की तस्वीर-सौ करोड़ लोगों की तकदीर
सोचिए, समझिए, आगे बढ़िए और बुलंद कीजिए अपनी आवाज
हम नहीं करेंगे
तो कौन करेगा? http://www.janjagran.co.in
अब नहीं तो कब..? एक अनोखी पहल
देश में विकास की चकाचौंध है, लेकिन क्या हर कोना चमकदार है?
देश में बड़े-बड़े नेता हैं, लेकिन क्या उनके काम भी बड़े हैं?
देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन क्या वह सही दिशा में जा रहा है?
देश में एकता का भाव है, लेकिन क्या चहुंओर हिलोरें मारता सद्भाव है?
देश में हर संकट से लड़ने का जुनून है, लेकिन क्या हमें अपनी सुरक्षा को लेकर सुकून है?
देश युवाशक्ति से भरपूर है, लेकिन क्या वह निराशा से दूर है?
देश के लोग जान रहे हैं खुद के अधिकार, लेकिन क्या अपनी जिम्मेदारी को लेकर हैं तैयार?
हम आप सब जानते भी हैं और मानते भी कि हमारे लोकतंत्र की कमजोरियां बन गईं हैं अब बेड़ियां टूटेंगी नहीं ये आसानी से, क्योंकि तोड़ने वाले बच रहे हैं अपनी जिम्मेदारी से यही समय है चेतने, चेताने और चुनौतियों से लड़ने का सवालों के जवाब खोजने और उन्हें हल करने का
लोकतंत्र को सार्थक सिद्ध करने और समर्थ बनाने का वोट की वास्तविक महत्ता स्थापित करने का
बदल दीजिए देश की तस्वीर-सौ करोड़ लोगों की तकदीर सोचिए, समझिए, आगे बढ़िए और बुलंद कीजिए अपनी आवाज .......
हम नहीं करेंगे
तो कौन करेगा?
जी हां, मतदाताओं को जागरूक करने और उनके अधिकारों को बताने के लिए विश्व के सबसे बड़े हिंदी समाचार पत्र समूह ने एक व्यापक मतदाता जागरूकता अभियान चलाया है। यह अभियान मतदाताओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के लिए जागरूक करेगा। साथ ही साथ राजनीतिक दलों को सचेत भी करेगा। ..तो फिर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनिए और बदल दीजिए देश की तस्वीर और सौ करोड़ लोगों की तकदीर..आखिर हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा!!!!!!
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