आतंकवादी ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर रहे थे, बीच-बीच में ग्रेनेड की आवाज भी दिल को दहला दे रही थी, मगर इन सबके बीच एक शख्स ऐसा था, जिसे कुछ नहींसूझ रहा था। उसे सिर्फ दिखाई दे रहा था, वो चेहरा जो थी उसकी मासूम प्रेमिका। आपने फिल्मों मे हीरोइन की विलेन से हिफाजत करने के लिए लड़ते हीरो को कई बार देखा होगा। लेकिन बृहस्पतिवार को मुंबई मे एक शख्स ने सचमुच मे 'हीरो' जैसा काम करके दिखाया। आतंकियों की गोलियों की बरसात के बीच से अपनी प्रेमिका को निकाल लाया। हालांकि इस दौरान एक गोली उसकी प्रेमिका के पैर मे लग गई। आस्ट्रेलिया का रहने वाला यह युवा जोड़ा ख्ब् साल की केट एंस्टी और ख्फ् साल के डेविड काकर बुधवार को मुंबई पहुंचे थे। दोनों यहां ग्रेजुएट की डिग्री मिलने की खुशी मनाने आए थे। उन्हें क्या पता था कि उनकी खुशियों पर आतंक का ग्रहण लग जाएगा। बुधवार को होटल पहुंचने के थोड़ी देर बाद यह जोड़ा लियोपोल्ड कैफे पहुंचा। दोनों अभी अपनी सीट पर बैठे ही थे कि चार-पांच लोग आए और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। एक गोली केट के पैर मे लगी और उसकी हड्डियों को छेदती हुई बाहर निकल गई। चारों ओर से गोलियों की आवाज। चीख-पुकार और अफरा-तफरी। लेकिन दाद देनी होगी डेविड के दिमाग की। उसने पल भर की देरी किए बिना केट को गोद मे उठाया और दौड़ पड़ा। बिना यह सोचे कि अगले पल क्या होने वाला है। इस दौरान एक गोली उसके बदन को भी छूती हुई निकल गई। लेकिन डेविड रुका नही। वहां से बाहर निकल कर वह टैक्सी लेकर अस्पताल पहुंचा। वहां उसकी प्रेमिका केट के पैर मे सर्जरी की गई है। वाकई क्या जज्बा है-दोनों के प्रेम में।
Friday, November 28, 2008
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1 comment:
prem samarpan ka duja naam hai,khuda in dono ka pyar yuhi hi salamt rakhe yug yug tak.premi ke bahaduri ko salam.
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