क्या प्यार करना इतना बड़ा गुनाह है॥कि उसके बदले कोई अपना ही उसे निर्ममता पूर्वक मार डाले? बचपन से ही तो हर बच्चों को प्रेम करना सिखाया जाता है, जब वे बड़े होकर उसी प्यार के साथ जीने का निर्णय लेना चाहते है तो फिर हमारा समाज उसका दुश्मन क्यों हो जाता है? ग्रेटर नोएडा के एक गांव की घटना इसकी मिसाल है। वहां 18 साल की एक लड़की और उसके प्रेमी को इसलिए मार डाला गया, क्योंकि वे एक ही जाति के होने के बावजूद विभिन्न आयवर्ग में आते थे। एक परिवार रईस, दूसरा बेहद गरीब। दोनों परिवारों को अपने युवा होते बच्चों का प्रेम बर्दाश्त नहीं हुआ। इस पर ऐसा वहशीपन दिखाया गया कि दोनों को न सिर्फ पीट-पीटकर मार डाला गया, बल्कि उन्हें आग के हवाले भी किया गया। हमारे देश में यह पहली घटना नहीं है। जाति और समाज के नाम पर झूठी शान कायम रखने की जिद के चलते कितने ही प्रेमियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। कई बार तो बाकायदा पंचायत बुलाकर युवा प्रेमियों की हत्या का फरमान जारी किया जाता रहा है। ऐसी घटनाएं गांवों में ही ज्यादा हो रही हैं। अंतर्जातीय शादियों को लेकर शहरों में तो नजरिया काफी बदला है, वहां अब अभिभावक अपने बच्चों के ऐसे प्रेम और विवाह के प्रति उदार हुए हैं, पर ग्रामीण इलाकों में हालात पहले की तरह ही हैं। वहां सामंतवादी रूढि़यां अभी भी जस की तस कायम हैं। वहां संपन्नता, तो पहुंची है पर समझ की वह रोशनी नहीं पहुंची, जो वहां के समाज को ऐसे मामलों में उदार बनाती है। वहां आज भी अलग जाति-वर्ग के युवाओं के प्रेम को अत्यधिक चिढ़ के साथ देखा जाता है और उसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया जाता है। झूठी प्रतिष्ठा का सवाल न जाने और कितने प्रेमियों की जान ले लेगा। आखिर कब बदलेगी ऐसी प्रवृति? कब रुकेगा यह वहशीपन?
Saturday, September 20, 2008
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1 comment:
अफसोसजनक!!!!
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
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