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Tuesday, September 9, 2008

10 सितंबर, काला बुधवार: बेकार आशंका


लार्ज हेड्रोन कोलिडर [एलएचसी] जी हां, यही नाम है उस मशीन का, जिसके बारे में रोजाना टीवी चैनल वाले लोगों को डरा रहे है। यह जिनेवा स्थित परमाणु शोध प्रयोगशाला सर्न में रखी गई है, और आज 10 सितंबर, यानी बुधवार को यहां दुनियाभर के लगभग 2500 वैज्ञानिक जुटेंगे और धरती के 330 फुट नीचे इस मशीन के जरिए भौतिकी का सबसे बड़ा प्रयोग करेंगे।चौदह साल के लंबे इंतजार के बाद पृथ्वी की अनेक गुत्थियां सुलझने को हैं और वैज्ञानिकों की मानें तो वह अब तक के सबसे विशाल परीक्षण के जरिए ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य का पता लगाने की कोशिश करेंगे। टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में टीवी चैनल वाले बेतुकी और बेकार आशंकाओं को बता कर लोगों को गुमराह कर रहे है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक महाविस्फोट से हुई थी और वैज्ञानिक 27 किलोमीटर लंबी इस मशीन से विस्फोट कर एक बार फिर वैसी ही परिस्थितियां पैदा करेंगे, ताकि दुनिया के निर्माण के रहस्य का पता लगाया जा सके। प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक किसी भी ऐसी आशंकाओं को निराधार बता रहे हैं, जो अफवाहें उड़ाई जा रहीं है। प्रयोग से जुड़े भारतीय वैज्ञानिक वाईपी वियोगी का कहना है कि एलएचसी से धरती के नष्ट होने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि यदि ऐसा कोई खतरा होता तो वैज्ञानिक यह प्रयोग करने का जोखिम नहीं उठाते।उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड की उम्र लगभग 14 अरब वर्ष और धरती की उत्पत्ति की उम्र करीब साढ़े चार अरब वर्ष मानी जाती है। तब से लेकर अब तक ब्रह्मांड में न जाने कितनी टक्कर हुई हैं। लेकिन धरती के अस्तित्व पर कभी कोई संकट नहीं आया।एलएचसी से परखनली में छोटे कणों में ऊर्जा पैदा की जाएगी। इससे प्रोटोन एक दूसरे से टकराएंगे। इस दौरान ऊर्जा का स्तर सात गुना ज्यादा होगा। यह अब तक का सबसे ज्यादा हासिल किया जाने वाला स्तर होगा। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस परीक्षण के जरिए भौतिक विज्ञान के कुछ बड़े सवालों के जवाब ढूं़ढे़ जा सकेंगे, जैसे- ब्रह्मांड जैसा दिखाई देता है, वैसा क्यों है और द्रव्य गुरुत्वाकर्षण तथा रहस्यमयी डार्क मैटर को कैसे स्पष्ट किया जा सकता है आदि। इस परीक्षण के पीछे डाक्टर लिन इवांस हैं, जो एक खनिक के पुत्र हैं। उनका कहना है कि विज्ञान के प्रति वे तब आकर्षित हुए जब वह कम उम्र के ही थे। एक अन्य वैज्ञानिक मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ब्रायन कोक्स हैं।

3 comments:

seema gupta said...

"read your artical, it really very relief giving, as so many confusions are being created about this experiment. but you have described it very clearly..thanks for sharing"

Regards

संगीता पुरी said...

हां जी आशंका बेकार की ही है। अभी दुनिया पापियों से भरी नहीं है कि दुनिया नष्ट हो जाए। चैनलवाले बेकार का वहम फैलाते हैं।

Unknown said...

thanx a lots 4 writing this truthful artical which gave positive thoughts..waiso log negative chijo ko jaldi aapnate hai jiska faida kuch news channel walo ne uthaya hai n is topic se logo ko khub daraya n apni TRP badhai hai but sirf apne faide k liye logo ki feelings ka aisa majak banana bahut saram ki baat hai un news channel walo k liye...