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आखिरकार महाराष्ट्र में खुलेआम आतंक का तांडव करने वाला आतंकी राज ठाकरे की जीत हो ही गई। दरअसल, यह जीत मनसे या राज ठाकरे जैसे आतंकियों की नहीं, बल्कि पूरी तरह नपुंसक हो चुके महाराष्ट्र सरकार की है। महाराष्ट्र कांग्रेस के नपुंसक नेताओं ने जो राजनीति का गंदा खेल इस मवाली पार्टी और इसके कर्ताधर्ता राज ठाकरे को आगे करके खेलना शुरू किया है वह बेहद निंदनीय है और इसका खामियाजा उसे भुगतना ही पड़ेगा। पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र में जो हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है। राज ठाकरे के गुण्डे जिस तरह से राज्य में समानान्तर सरकार चला रहे है और हिंसा पर हिंसा करते जा रहे है उससे महाराष्ट्र में नेताओं की नपुंसकता उजागर हो गई है। इस मामले पर अगर मनमोहन सरकार को भी नपुंसक कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्या पीएम मनमोहन सिंह को अब महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शर्म नहीं दिखता? दरअसल यह सब कांग्रेस की गंदी राजनीति एक हिस्सा है। कांग्रेस ने इससे पहले इसी तरह की गंदी राजनीति पंजाब में भी खेली थी। परिणाम सन 1984 में भारी संख्या में हिंदू-सिख दंगे हुए और इंदिरा गांधी को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी, अपनी जान देकर। यहां मामला थोड़ा सा अलग है। महाराष्ट्र की राजनीति में शिव सेना की लड़खड़ाती स्थिति का फायदा विलासराव देशमुख और आर आर पाटिल जैसे शिखंडी नेता राज ठाकरे को आगे कर उठाना चाहते है। राज ठाकरे की गंदी राजनीति का इस्तेमाल जिस तरह से कांग्रेस कर रही है उसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।
1 comment:
गीता-ओ-कुरान जला दो, बाइबल का करो प्रतिवाद,
आओ मिल कर लिखें हम एक महाराष्ट्रवाद.
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