भाइयों और भाभियों, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है। अगर महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव पास हो गया तो फिर [कथित रूप से कुंवारे या शादीशुदा] युवक-युवतियों को बिंदास साथ-साथ रहने से कोई नहीं रोक सकता। मगर, भाई लोगों क्या यह उचित होगा? जरा कल्पना करें-अगर ऐसा हो गया तो फिर शादी जैसे पवित्र बंधन का क्या औचित्य रह जाएगा? पति-पत्नी के संवेदनशील रिश्ते कहां जाएंगे। तब शायद सामाजिक पतन की पराकाष्ठा होगी और सात फेरों का बंधन व पति-पत्नी का पवित्र रिश्ता गर्त में जाने लगेगा। कम से कम महाराष्ट्र सरकार ने तो इसका श्रीगणोश कर ही दिया है।जी हां, महाराष्ट्र विधानसभा ने लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी जामा पहनाने के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह प्रस्ताव जस्टिस मल्लीमथ कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। इसमें कहा गया है कि अगर पुरुष और महिला एक उचित अवधि से एक दूसरे के साथ रह रहे है तो उन्हें एक दूसरे को शादीशुदा पति-पत्नी की तरह समझना चाहिए। यानी बिना शादी किए साथ-साथ रहने वाले युवक-युवती भी पति पत्नी का दर्जा पा सकते है। साथ ही साथ इससे बहु पत्नी प्रथा को भी बढ़ावा मिलेगा। मतलब साफ है बिन सात फेरे ही हम होंगे तेरे। फिलहाल को महाराष्ट्र विधानसभा का यह फैसला केंद्र के पास विचाराधीन भेज दिया गया है, परंतु महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले ने एक बहुत बड़े विवाद को जन्म दे दिया है।
Thursday, October 9, 2008
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1 comment:
अब समाज से रखैल शब्द मिट जाएगा. ये खुशी की बात है. :)
पर वो हमारी जिंदगी में शामिल हो जायेगी. ये दुःख की बात होगी. :(
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